Tapkeshwar Temple बहुत ही सुंदर है जो की देहरादून से 7 किलोमीटर की दूरी पर है इसे टपकेश्वर नगर भी कहाँ जाता है शेरबाघ के सामने है यह मंदिर और यहाँ पर लोगो घुमने दूर दूर से आते है क्यूँ की यह देखने मैं बहुत ही सुंदर है इस मंदिर मैं माता वैष्णो देवी की गुफा भी है जो की देखने मैं बेहद सुंदर है लोग इस गुफा मैं माता रानी के दर्शन करने जाते है ये गुफा सुंदर पहाड़ो से घिरी हुई है जो देखने मैं अच्छी लगती है अगर आप बस अड्डे से आयेगे तो आपको 10 किलोमीटर की दूरी पर है और अगर आप रेलवे स्टेशन से आ रहे है तो लगभग 8 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ेगी और घंटा घर से आपको लगभग 6 या 7 किलीमीटर का रास्ता तय करना पड़ेगा और आप अपनी गाडी से भी जा सकते है रोड बहुत अच्छी है और आप आराम से पहुच सकते है सावन के महीने मैं , शिवरात्रि और नवरात्री मैं यहाँ पर बहुत जयादा भीड़ होती है लोग दर्शन करने दूर दूर से आते है यहाँ पर एक नदी भी बहती है जिसको टोंस नदी या तमसा नदी के नाम से भी जानते है
कहानी : Tapkeshwar Temple का इतिहास महाभारत से जुड़ा हुआ है . म्हेसी द्रोणाचार्य अपनी पत्नी के साथ यहाँ पर आये और म्हेसी द्रोणाचार्य ने और उनकी पत्नी ने यहाँ पर महादेव के दर्शन करने के लिए तपस्या की थी म्हेसी द्रोणाचार्य का तपस्या करने का कारण था की वह शिव से शिक्षा लेना चाहते थे और उनकी पत्नी का तपस्या करने का कारण था की उन्हें पुत्र की प्राप्ति हो दोनों के तपस्या सफल हुई कहते है की शिव रोज़ म्हेसी द्रोणाचार्य को शिक्षा देते थे और उनकी पत्नी को पुत्र की प्राप्ति जिसका नाम उन्होंने अस्वाधमा रखा ये भी कहा जाता है की जब अस्वाधमा खेलते थे तो वो देखते थे की उनके साथ खेलने वाले बच्चे अपनी माँ का दूध पीते थे पर अस्वाधमा की माँ का दूध ना बन पाने की वजह से वह उन्हें दूध नहीं पिला पाती थी और अस्वाधमा को दूध का नहीं पता था की उसका स्वाद कैसा होता है .फिर उन्होंने इसकी मांग आपने माँ से की यह सफ़ेद रंग का तरल चीज़ क्या होती है फिर अस्वाधमा की माँ ने एक पैर पर खड़े होकर यहाँ पर तपस्या की फिर यहाँ की शिलिंग वाली गुफा मैं दूध टपकना शुरू हो गया पहले यहाँ शिवलिंग पर दूध टपकता था फिर उसके बाद यह जल पर परिवर्तित हो गया .
Tapkeshwar Temple को हम दूधेश्वर के नाम से भी जानते है क्यूँ की यहाँ पर ढूध टपकता था यहाँ पर दो शिवलिंग है एक खुद से प्रगट हुआ शिवलिंग है यहाँ पर एक शिवलिंग और है यहाँ पर आपको म्हेसी द्रोणाचार्य की तस्वीर देखने को मिल जाएगी यहाँ पर माता विष्णो देवी की सुंदर गुफा भी है और भी कई मुर्तिया यहाँ पर स्थापित है यहाँ पर आपको हनुमान जी की बड़ी मूर्ति भी देखने को मिल जाएगी यहाँ पर मंदिर के बीचो बीच एक नदी बहती है जिसको टोंस और तमसा नदी कहा जाता है .यहाँ पर आप पूजा याचना भी कर सकते हैं .
कहाँ जाता है की जब म्हेसी द्रोणाचार्य यहाँ इस जगह पर आये थे तो यहाँ पर शेर और हिरन एक साथ इस नद्दी मैं पानी पी रहे थे जब उन्होंने सोचा यहाँ पर कितनी शांति है . यहाँ पर जानवर मिल जुल कर रहते है यहाँ पर नवरात्री मैं भी भीड़ रहती है क्यूँ की यहाँ पर माता विष्णो देवी की गुफा के अंदर मंदिर है यहाँ पर आकर बहुत अच्छा लगता है मन को बहुत शांति मिली है आप भी यहाँ पर आये और जगह की सुन्दरता देखे जो आपको आनन्द महसूस करवाएगी यहाँ पर आप देहरादून से बहुत ही आसानी से पहुच सकते है और इस जगह के दर्शन और आनन्द भी ले सकते है .
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