Fri. Dec 1st, 2023

उत्तराखंड मैं चार सिद्ध हुए जिनके नाम है लक्षमण सिद्ध ,माणु सिद्ध ,कालू सिद्ध,मानक सिद्ध है . Lakshman Sidh मंदिर से कालू सिद्ध मंदिर की दूरी कम से कम 15-16 किलोमटर है और लक्षमण सिद्ध से मानक सिद्ध की दूरी 24-25 किलोमीटर है मानक सिद्ध से माणु सिद्धकी दुरी 28-29 किलोमीटर पड़ता है

यह चार सिद्ध बहुत ही प्रसिद्ध माने जाते है .Lakshman Sidh मंदिर हरिद्वार और  देहरादून के मार्ग से 14 किलोमीटर दूर है और यहं मंदिर डोईवाला से 9 किलोमीटर पर हरिद्वार ऋषिकेश रोड पर लछिवाला के घने जगलों मैं  स्तिथ है यहाँ पर आप ऋषिकेश हरिद्वार और देहरादून मार्ग से भी आ सकते है .देहरादून से ये मंदिर 14 किलोमीटर की दूरी पर पड़ता है .यहाँ का वातावरण बहुत ही सुंदर और निर्मल है .

Lakshman Sidh Temple

कहानी : कहा जाता है यहाँ पर भगवान लक्षमण  जी ने यहाँ  ध्यान किया था जब राजा दशरथ के पुत्र श्री राम और लक्षमण ने रावण का वध किया था रावण के वध के बाद ब्रम्ह हत्या के दोष के मुक्ति पाने के लिए के लिए यहाँ पर तपस्या की थी जिसके बाद से इस जगह का नाम लक्षमण सिद्ध मंदिर से जाना गया

यह पर्यटक के लिए बहुत ही बढ़िया जगह है यहाँ पर लोग इस मंदिर को देखने और अपनी मन्नत मांगने भी आते है कहा जाता है यहाँ पर लक्षमण जी ने शिव की तपस्या की थी इस लिए इस मंदिर को लक्षमण सिद्ध मंदिर के नाम से जाना जाता है यहाँ पर सच्चे ह्र्दय से मांगी गए मनोकाना पूरी होती है .यहाँ का मुख्य प्रसाद गुड की भेली है क्यूँ की पुराने ज़माने मैं मीठा ये ही हुआ करता था जो पुराने समय मैं चढाते थे यह लोगो की आस्था का भी एक स्थान है  इस मंदिर मैं श्रधालूऑ मैं और सेनानियों मैं आकर्षण बड रहा है यह मंदिर घने जगलों के बीच के मार्ग से जाना पड़ता है यहाँ पर अप्रैल के महीने मैं लक्षमण सिद्ध मेले का आयोजन किया जाता है

Lakshman Sidh Temple

यहाँ पर रुध्रराक्ष का बहुत ही बड़ा पेड़ है यह पंचमुखी रुध्रराक्ष का पेड़ है इसे पंचेश्वर भी माना जाता है और दूसरा जो पेड़ है वो तीन मुखी रुध्रराक्ष है इनका बहुत महत्व है इन दोनों पेड़ो पर आपको रुध्रराक्ष एक मैं दिसम्बर और एक मैं मार्च के आसपास देखने को मिलेंगे . यहाँ पर और ये दोनों पेड़ आपको लक्षमण सिद्ध मंदिर मैं आपको देखने मैं मिल जायेगे आप इनके दर्शन कर सकते है . यहाँ पर एक अखंड धुनि है जो हजारों साल से जलती रहती है यह एक अखंड धुनि है जो यहाँ के पुजारी इसे प्रसाद के रूप मैं देते है  यह मनोकाना पूर्ण करने मैं सहायक होता है ऐसा माना जाता है .यहाँ पर सच्चे दिल से पूजा याचना करने वाले को फल जरुर मिलता है आप भी इस अद्भुत मंदिर देखने जरुरी आये यहाँ पर मन् को सकूँन की प्रपति जरुरी होगी .

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