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    माँ सुरकंडा देवी मंदिर | Surkanda Devi Temple In Uttarakhand

    उत्तराखण्ड को देवी भूमि कहा जाता है यहाँ देवी देवताओ का वास माना जाता है यहाँ पर बहुत ही सुंदर पर्वत है हरयाली है यहाँ का मौसम भी बहुत अच्छा रहता है लोग दूर दूर से आते है और देवी देवताओ मंदिरों के दर्शन करते है आज हम आपको बताने वाले है surkanda devi mandir के बारे मैं ओर जानते है इनके बारे मैं .

    surkanda devi mandir

    स्थान : देहरादून से ये 70 किलोमीटर की दूरी पर है कदुखाल से surkanda devi mandir की चढ़ाई होती है धनोल्टी से  7 किलोमीटर के आस पास है और ऋषिकेश और चंबा से भी यहाँ आ सकते हो यहाँ बर्फ भी देखने को मिलती है यह खडी चढाई है और रस्ते मैं बहुत अच्छे पहाड़ हरयाली देखने को मिलती है

    कहानी और महत्व

    पुराणिक मानिताओ के अनुसार दकशपरजापति ने कनखल नगरी मैं यग्य का आयोजन किया. लेकिन अपने दामाद शंकर महादेव भगवान् जी को उस यग्य मैं आमंत्रित नहीं किया माता सती को जब यग्य के विषय मैं जब ग्यात हुआ तो माता सती ने महादेव से यग्य मैं साम्लित होने की इच्छा व्यक्त की लेकिन महादेव ने यग्य मैं जाने से इंकार कर दिया .

    माता सती अपनी जिद पर अड़ी रही और यग्य मैं चली गई माता सती ने जब देखा की उनके पिता के यग्य मैं शंकर भगवन का कोई स्थान नहीं रखा है तो कारण पूछने पर दकशपरजापति ने शंकर महादेव को अपमान जनक शब्द कहे और महादेव का यह अपमान देख कर माता सती हवनकुंड मैं कूद पड़ी. महादेव को माता सती की आत्मदाह की सुचना मिलने पर महादेव ने दकशपरजापति का सर काट कर यग्य को भंग कर दिया और माता सती का शव को कंधे पर उठा कर कैलाश की और चलने लगे जिसको देख कर चारो और हाहाकार मच गया .

    महादेव को शांत करने के लिए विष्णु भगवन ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शव के 51 खंड कर दिए और वह खंड जहाँ जहाँ गिरे वो खंड शक्ति पीठ कहलाये चंदरकूट पर्वत पर माता सती का बदन गिरा जिसके कारण इस जगह का नाम चन्द्रबदनी पड़ा और माता सती का शीश गिरा जिस सिर की यहाँ पूजा की जाती है उस जगह को माँ सुरकंडा देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है और इसे प्रथम शक्तिपीठ भी कहाँ जाता है

    क्यूँ की यहाँ पर माता सती का शीश गिरा था ये सिर्कुट पर्वत पर है पुराणों मैं इसका वर्णन की यहाँ पर देव इन्द्र तपस्या करने आते थे यहाँ पर इन्द्र की गुफा भी है यहाँ 12 महीने यात्रा चलती रही है बर्फ चाहे कितनी भी गिरे यहाँ पर्वत से देहरादू मसूरी चारधाम यहाँ से देखने को मिलता है .

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