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    Dhari Devi & Maithana Devi Temple In Uttarakhand

    उत्तराखण्ड देवी भूमि कहा जाता है इसे देवी देवताओ की धरती भी कहा जाता है यहाँ ऋषि मुनि लोगो ने तप किये और अपनी इच्छा मांगी और वो पूरी भी हुई आज मैं आपको Dhari Devi Mandir के बारे मैं बताने जा रहा हूँ यहाँ भगत दर्शन करने दूर दूर से आते है कुछ लोग जब इस मार्ग से गुजरते है तो लोग यहाँ माता के दर्शन जरुर करते है .

    कहाँ जाता है माता यहाँ पर तीन रूपों मैं बदलती है सुबह माँ कन्या अवस्था मैं दिन के समय योवन अवस्था मैं और शाम के समय वही मूर्ति वृद्धा अवस्था के रूप मैं दिखाई देती है यहाँ पर भक्त अगर सच्चे मन से कुछ भी मांगे तो वो मुराद जरुर पूरी होती है ऐसा यहाँ पर लोगों का मानना है .

    स्थान : बद्रीनाथ हाईवे पर अलक्नान्न्दा नंदी के किनारे पर Dhari Devi Mandir बना है . यहाँ का दृश्य देखने मैं बहुत ही प्यारा लगता है नदी का पानी बिलकुल साफ़ और निर्मल दिखता है और लोग यहाँ आकार दृश्य का आनन्द लेते है .

    Dhari Devi Mandir image

    कहानी और महत्व

    धारी देवी माता के बारे मैं अनेको कहानियां प्रचलित है  जब हम भिन भिन लोगो से जब बात करते है तो अलग अलग कहानी सुनने को मिलती है पर जो ज्यादा तर लोगो मैं यह ही कहानी है की धारी देवी सात भाइयों की अकेली बहिन थी और वो अपने भाइयों को बहुत प्यार करती थी क्यूँकि माता पिता के गुज़र जाने के बाद भाइयों ने हे उसकी देखभाल की और पाला पोसा धारी देवी अपने भाइयों को अलग अलग तरह का भोजन खिलाती थी और उनका पूरा धयान भी रखती थी .

    यह कहानी तब की है जब वो बहुत छोटी 11 साल की थी तब उनके भाइयों को पता चला की उसके जो गृह है वो भाइयों के लिए ख़राब है उनके लिए बिलकुल भी ठीक नहीं है वह उसे इस लिए भी नफरत करते थे की माँ का रंग बचपन से ही सावला था जैसे जैसे समय आगे बड़ा तो उसके 5 भाइयों की मृत्यू हो गए और दो शादी शुदा भाई ही बच पाए अब उन भाइयो को ये डर लगने लगा की कहीं ये उनकी बहिन के गृह ख़राब  होने की वजह से तो नहीं हो रहा है तब उन्होंने सोचा की क्यूँ न बहिन को मार दिया जाये तब उन्होंने जब बहिन सो रही थी तो उन दोनों भाइयों ने उनकी गर्दन से उनको काट डाला और उसे गंगा मैं फेक दिया गया .

    तब उस कन्या का सर बहते बहते धारी गाँव मैं आ पंहुचा. सुबह का वक़्त था तब वहां पर एक व्यक्ति अपना काम कर रहा था तो उसने सोचा की गंगा मैं कोई लड़की डूब रही है तो वह सोच मैं पड़ गया की लड़की को कैसे बचाया जाये तब उस लड़की ने उसे कहा आप डरो नहीं जहाँ जहा आप अपने पैर रखोगे मैं वहा पर सीड़ियाँ बना दूंगी और बिलकुल वैसा ही हुआ जैसे जैसे उसने अपने पैर गंगा मैं रखे तो अपने आप सीड़ियाँ बनती गई तब जब उसने उस सिर को उठाया तो वह चोक गया की ये तो सिर्फ सर है फिर धारी देवी ने कहा घबराओ नहीं मैं देवी के रूप मैं हूँ तुम मुझे एक पवित्र पत्थर पर स्थापित कर दो.

    उस इन्सान ने बिलकुल वैसा ही किया और उसे स्थापित कर दिया फिर उस सर ने पत्थर का रूप ले लिया फिर वहाँ लोगो दवारा पूजा होने लगी और वहां पर फिर Dhari Devi Mandir बनाया गया .

    माँ का जो धड़ वाला हिसा था वह रुधर्पयाग के कालीमठ मैं माँ मैथाणा देवी के नाम से मंदिर प्रसिद्ध हुआ वहां पर भी माँ का मंदिर स्थापित किया गया जहाँ पर माँ का बदन वाला हिस्सा कहाँ जाता है वह उत्तराखण्ड मैं सिद्धपीठ की मान्यता रखते है .Dhari Devi Mandir मैं धारी देवी शांति रूप मैं विराजमान है .

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