Mon. Oct 7th, 2024
    bhikharin-ladki-aur-uski-mehnat-motivational-story

    एक बार की बात है जगन नाम का एक भिखारी अपनी बेटी गौरी के साथ रहता था गौरी की माँ का गाँव में फैली महामारी के कारण देहांत हो गया था और जगन को ठीक से दिखाई नहीं देता इसी वजह से उसे कहीं भी काम नहीं मिलता था इस मजबूरी के कारण उसे अपनी बेटी के साथ मिल कर भीख मांगना पड़ता था लेकिन गौरी ( Bhikharin Ladki ) को भीख मांगना पसंद नहीं था और आगे  पड़ना लिखना चाहती थी जब भी गौरी गाँव में पिता के संग सेठानी के घर में भीख मांगने पहुचती तो वहां उनके बेटे को पड़ते लिखते देख  उसे खुद के लिए बहुत ही बुरा लगता था ये देख सेठानी उसे ताने देते हुए कहती थी हरिया देख दरवाजे पर फिर वही भिखारी होगा कुछ भीख देकर उसे भगा जल्दी से

    गाँव में एक भी हस्पताल नहीं है इन मनहूसों की वजह से महामारी मेरे बेटे को लग गई तो मैं क्या करुँगी ये सुन कर वो दोनों वहां से दुखी हो कर वहां से चले गए तब गौरी ने पिता जी से कहा पिताजी सारा गाँव हमसे दूर क्यूँ भागता है क्या हम बुरे लोग है तब पिता जी ने उसकी बात सुन कर कहा नहीं बेटी बुराई तो हमारी गरीबी और उनकी सोच में है गौरी ने ये सुन कर पिताजी से कहा की पिताजी में एक दिन डॉक्टर बन कर आपके आँखों का इलाज़ करुँगी

    और में इस गाँव में एक हस्पताल भी खोलूंगी पिता ने सुन कर कहा बेटी हमारे लिए तो दो वक़्त की रोटी जुटाना भी बहुत कठिन है ये सब तो बड़े लोगों के सपने है काश में तुम्हारे लिए कुछ कर पाता तभी गौरी को एक औरत ने पास बुलाया और कहा अरे ओह गौरी अगर तुम हमारा बाथरूम साफ़ कर दोगी तो मैं तुम्हे कुछ रुपये भीख दूंगी

    गौरी( Bhikharin Ladki ) ने उनकी बात मानी और उनका बाथरूम साफ़ कर दिया लेकिन गौरी को ये बात बहुत ही बुरी लगी तभी गौरी ने  फैसला कर लिया वो डॉक्टर बनेगी और उसने अपने पिता को गाँव के बाहर एक पेड़ के नीचे मोहन चाचा के पास बिठा दिया और कुछ दिनों तक गाँव में खिलोने बेच कर पैसे कमाने लगी और कुछ दिन बाद वो गाँव की टीचर रेणुका से मिल कर सरकारी स्कूल मैं पड़ने जाने लगी गौरी रोज़ स्कूल से आने के बाद खिलोने बेचती और पैसे कमाती थी और आपने पिता की देख भाल करती थी और रात भर जाग कर पढाई किया करती और हमेशा अच्छे अंकों से पास होती थी

    गौरी की सफलता देख गाँव की सेठानी और कुछ लोग सभी हैरान थे और वो जगन और गौरी से जलने भी लगे थे और सेठानी तौंट मार कर कहती ये भिखारिन कौनसा पड़ लिख कर डॉक्टर यह कलेक्टर बन जाएगी मैं भी देखती हूँ  गौरी हमेशा हर साल अच्छे अंकों से पास होती थी और टीचर रेणुका भी गौरी की पड़ने मैं बहुत मदद करती थी

    धीरे धीरे समय गुज़रता गया और गौरी बड़ी होती गयी उसने अपनी मेहनत और लगन से स्कूल की पढाई पूरी की और डॉक्टर की पढाई के लिए कॉलेज में पड़ने के लिए इम्तिहान दिया और उसने इम्तेहान में टॉप भी किया ये खबर सुन कर गौरी के पिता और टीचर रेणुका बहुत ही खुश हुई फिर गौरी ने अपने पिता से कहा पिता जी डॉक्टर की पढाई के लिए मुझे स्कॉलरशिप भी मिला है लेकिन अब गौरी को अपने पिता को छोड़ कर पढाई के लिए शहर जाना था वो उदास हो गई फिर उसकी टीचर रेणुका ने गौरी ( Bhikharin Ladki ) को कहा की तुम फ़िक्र न करो यहाँ पर में सब संभाल लूगी शहर जाओ और जल्दी ही डॉक्टर बन कर आना गौरी पढाई के लिए शहर चली गई गुज़रते समय के साथ वो अपने सपने की तरफ तेजी से कामयाबी के साथ बड रही थी कई दिनों तक उसकी कोई खोज खबर नहीं आई कुछ साल बाद गाँव में महामारी की बीमारी तेजी से फ़ैल गई

    उसके पिता के सहित सेठानी के बेटा सभी बहुत ही बीमार हो गए नगर के एक छोटे से हस्पताल में पड़े रहे लेकिन कई दिनों से कोई भी डॉक्टर वहां उन्हें देखने नहीं आया सेठानी बहुत दुखी और उदास भगवान से प्राथना करने लगी तभी एक नर्स ने सभी को खबर दी अब तुम लोगों को चिंता करने की कोई जरुरत नहीं सरकार की तरफ से शहर की सबसे बड़ी डॉक्टर साहिबा सबका इलाज़ करने आने वाली है ये सुन कर सारे गाँव वाले बहुत ही खुश हो गए

    तभी हस्पताल के पास एक बड़ी कार आकर रुकी उस में से एक डॉक्टर उतरी नगर सरपच ने उसका स्वागत माला पहना कर किया जब वो हस्पताल में आई तो उसे देख सभी हैरान रह गए क्यूंकि वो डॉक्टर कोई और नहीं वही लड़की भिखारिन गौरी थी गौरी (भिखारिन) ने अपने पिता के पैर छु कर आशीर्वाद लिया फिर उसने सभी गाँव वालों का इलाज़ किया गौरी के इलाज़ से कुछ ही दिनों में सभी गाँव वाले ठीक हो गए

    गौरी ( Bhikharin Ladki ) ने अपने पिता की आँखों का ऑपरेशन करवा कर उनकी आँखों की रौशनी भी वापिस लाई गौरी की लगन और सफलता की वजह से एक बार फिर सारा गाँव महामारी से पूरी तरह से मुक्त हो गया सेठानी सहित बाकि गाँव वालों को अपनी गलती का एहसास हो गया उन सभी गाँव वालों ने गौरी का फूल माला का हार पहना कर उसके नाम का जय जय कार करने लगे ये देख कर गौरी के पिता का सीना गर्व से चौड़ा हो गया

    दोस्तों हमें इस कहानी से सीखना चाहिए की किसी काम को पूरी लगन और द्रिद्द निश्चय से किया जाये तो उसमें हमें सफलता जरुर मिलती है जो इन्सान मेहनत करता है उसी की कामयाबी शोर मचाती है मेहनत के बिना कुछ नहीं मिलता है जैसे हमें अपनी प्यास बुझाने के लिए पानी का गिलास उठाना पड़ता है बिलकुल वैसे ही कम्यागी भी मेहनत करने से ही आती है हार मानने वाला इन्सान कभी भी कामयाब नहीं होता गिराने के लिए कुछ लोग बैठे है पर कामयाबी के लिए उठाना खुद ही पड़ता है

    दोस्तों Motivational Story पड़ने के लिए link पर click करें

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