करवा चौथ विशेष तौर पर नारियों का त्योहार है हिंदू धर्म में नारी को शक्ति का रूप माना गया है
करवा चौथ को पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन मनाया जाता है करवा चौथ को करक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है
करवा चौथ का व्रत सुहागने अपने पति की लंबी आयु और सुरक्षा के लिए रखती है इसके पीछे एक कथा भी प्रचलित है
सात भाइयों की एक इकलोती बहिन होती है जिसे वो बहुत ही प्यार करते थे एक दिन उसकी शादी हो जाती है
फिर वह करवा चौथ के व्रत के समय अपने माइके आई होती है तब वह पूरे सच्चे मन से उस व्रत को रखती है
लेकिन उसका स्वास्थ्य उसका साथ नहीं देता है तो उनके भाई जो उससे बहुत प्यार करते हैं उसे खाना खा लेन के लिए कहते हैं
मगर वो उन्हें कहती है आज मेरा करवा चौथ का व्रत है तो मैं चाँद को देखे बिना खाना नहीं खा सकती हूँ
उसके भाई उसकी इस हालत को देख कर परेशान हो जाते हैं तो वो एक जलते दीपक के उपर छन्नी को बाहर रख देते हैं
उसकी जल्दी रौशनी से ऐसा दिखता जैसे चाँद हो तो उसके भाई उसे कहते हैं चाँद आ गया है अपना व्रत खोल लो
फिर वो भाइयों की बात मान लेती है जैसे ही वो व्रत तोड़ने लगती है उसे कई संकेत मिलते हैं जैसे बाल खाने में आना , छींक आना उसके बाद उसके पति के मरने की खबर आती है
जब वो अपने पति के शरीर को देखती है तो उसे अपनी की हुई गलती पर पछतावा होता है तो वो अपने पति के शरीर को अगले व्रत तक संभाल कर रखती है
जैसे ही अगला साल करवा चौथ वाले दिन वो सच्चे मन से व्रत रखती है और उसका पति फिर से जीवित हो जाता है
चांद को लंबी आयु का वरदान प्राप्त है और चंद्रमा को भगवान ब्रह्मा का रूप माना जाता है