आज के समय में कई बड़ी बड़ी कंपनियां ब्लॉकचैन का विकास करने के लिए काम कर रही है भविष्य में ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जायेगा
इस समय में डाटा बनाने और प्रबंधित करने में मदद करने के लिए एक ग्राफिकल इंटरफ़ेस होता है जिसके द्वारा आप डाटा एडिट या बदल सकते हैं
आज के समय में डाटा को एक नीजी सर्वेस में स्टोर किया जाता है जिसे बदलना बहुत ही आसान हो जाता है
ब्लॉकचैन अलग अलग बॉक्स की बनी चैन को कहते हैं जिसमें आपका सारा डाटा टुकड़ो में स्टोर होता है
जब एक बॉक्स में डाटा भर जाता है तो वो दूसरे बॉक्स के साथ जाकर जुड़ जाता है जब भी कोई लेन देन होती है तो एक HASH कोड बनता है जो हर क्रिप्टो की लेन देन पर बनता है
अगर किसी के द्वारा इस HASH कोड को एडिट करके थोडा सा भी बदला जाये तो पूरा Hash कोड बदल जाता है जिसके द्वारा हेरा फेरी का पता लगाया जा सकता है
हर ब्लॉक दूसरे ब्लॉक के साथ HASH कोड के साथ जुड़ते हैं इस तरह हर ब्लॉक के पास पिछले ब्लॉक के डाटा की जानकारी होती है जिस तरह ब्लॉकचैन काम करती है
ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी सबसे पहले 1991 में stuart haber और w.scoott stornetta द्वारा सामने आई थी
लेकिन ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी को 2009 में बिटकॉइन के साथ लॉन्च किया गया था तब इसे अपनी असली पहचान मिली थी
बिटकॉइन हो या इथेरियम सभी ब्लॉकचैन का इस्तेमाल करते है पर बिटकॉइन ब्लॉकचैन पर आधारित सबसे पहला और प्रसिद्ध क्रिप्टोकरेंसी है
ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल क्रिप्टोकरेंसी के लेन देन के डाटा को सेव करने के लिए किया जाता है ब्लॉकचैन डिसेंट्रलाईज़ेड है जिस पर किसी का नीजी हक़ नहीं है