अक्टूबर की छुटियों में इन मंदिरों के करें दर्शन शांति मिलेगी

संकट मोचन मंदिर भगवान हनुमान का स्वर्गीय निवास है यह मंदिर शिमला की घाटियों में स्थित है यह मंदिर बाबा नीब करोरी जी द्वारा निर्मित है

संकट मोचन मंदिर

यहाँ मंदिर शिमला में है जब हनुमान जी ने लक्ष्मण के लिए संजीवनी बूटी लेने के लिए उड़ान भरी थी तब उन्होंने यहाँ पर विश्राम किया था यह मंदिर भगवान हनुमान जी को समर्पित है

जाखू मंदिर

यह मंदिर हिमाचल प्रदेश में ओल्ड मनाली रोड पर है यह मंदिर पूरी तरह से लकडी का बना हुआ है यहाँ पर भीम की पत्नी को कठोर तपस्या के बाद अलौकिक शक्तियां प्राप्त हुईं

हिडिम्बा मंदिर

यह मंदिर 200 साल पुराना है मंदिर की दीवारों पर इतिहास की सांस्कृतिक शानदार पेंटिंग हैं इसे महारानी प्रसन्नी देवी बनवाया था यह मंदिर सुजानपुर टीरा, हिमाचल प्रदेश में स्थित है

नर्वदेश्वर मंदिर

तारा देवी मंदिर कच्ची घाटी  शिमला, हिमाचल प्रदेश में स्थित है यहाँ पर जाने का सबसे अच्छा समय नवरात्री में होता है यह मंदिर सितारों की देवी को समर्पित है

तारा देवी मंदिर

यह मंदिर हिमाचल प्रदेश में सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है ऐसा कहा जाता है कि देवी दुर्गा का अवतार थीं यह मंदिर मनाली से ब्यास नदी के किनारे 5 किमी की दूरी पर स्थित है

माँ शरवरी मंदिर

वशिष्ठ मंदिर 4000 साल पुराना है यह मंदिर हिमाचल प्रदेश मनाली में सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है यह मंदिर प्राकृतिक गर्म पानी के झरने या सल्फर स्प्रिंग्स के लिए जाना जाता है

वशिष्ठ मंदिर

यह मंदिर बिलासपुर हिमाचल प्रदेश से 70 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है नैना देवी को देवी दुर्गा का अवतार माना जाता है उनकी आंखें यहां गिर गईं

नैना देवी जी

यह मंदिर सबसे पुराने मंदिरों में से एक है यह मंदिर बिलासपुर सतलुज नदी के किनारे पर स्थित है इस गुफा में ऋषि व्यास ने कई वर्षों तक ध्यान किया और बाद में महाकाव्य महाभारत लिखा था

व्यास गुफ़ा मंदिर

भूतनाथ मंदिर महाशिवरात्रि मेले के दौरान यह जगह अपने पूरे वैभव में दिखाई देती है यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है यह मंदिर मंडी हिमाचल प्रदेश में स्थित है

भूतनाथ मंदिर

ज्वाला देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के ज्वालामुखी गांव में स्थित है यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक होने के लिए जाना जाता है यहाँ पर सती की जीभ गिरी थी

ज्वाला देवी मंदिर

यह मंदिर हिमाचल प्रदेश में ऊना जिले में स्थित है देवी सिर विहीन है और उन्होंने अपने दो साथियों को रक्त चढ़ाया था देवी को बलिदान का प्रतीक भी माना जाता है

चिंतपूर्णी मंदिर