X

Ranikhet Uttarakhand की सुन्दरता

दोस्तों आज मैं आपको बताने वाला हूँ Ranikhet के बारे मैं जो की बहुत ही सुन्दर शहर है Ranikhet बहुत ही हरा भरा शहर है यह उत्तराखंड मे पड़ता है यहाँ पर tourist बहुत आते है यहाँ पर यहाँ के स्थानीय लोग पिकनिक मनाने भी आते है यहाँ मौसम बहुत ही अच्छा रहता है यहाँ पर सर्दियों के मौसम में बहुत बर्फ देखने को मिलती है यहाँ का मौसम ठण्डा रहता है यहाँ से आप पहाड़ो की सुन्दर वादियों को महसूस कर सकते हो और उन्हें देख भी सकते हो यहाँ पर tourist का आना लगा ही रहता है tourist यहाँ पर जगह की सुन्दरता को देखने आते है यहाँ पर फोटोग्राफी करते है और साथ मे वीडियोग्राफी भी करते है यहाँ का नज़ारा दिल खुश देता है आओ जानते है यहाँ पर घुमने के लिए कौन कौन सी जगह है और यहाँ पर कैसे पहुच सकते है .

Ranikhet पहुचने का रास्ता

दिल्ली से रानीखेत 357 किलोमीटर है शिमला से रानीखेत 581 किलोमीटर है  चंडीगढ़ से रानीखेत की दूरी 482 किलोमीटर है  काठगोदाम रानीखेत के नजदीक का रेलवे स्टेशन है और आगर आप हवाई यात्रा के माध्यम से आ रहे है तो आपको पंतनगर नजदीक का हवाई अड्डा है पंतनगर से फिर आपको काठगोदाम तक आना पड़ेगा पंतनगर से काठगोदाम 25 किलोमीटर है और काठगोदाम से रानीखेत 85 किलोमीटर की दूरी पर है अल्मोड़ा से ये 40 किलोमीटर की दूरी पर है  यहाँ आप बस से भी जा सकते है और यहाँ पर जाने के लिए टैक्सीयां भी उपलब्ध रहती है  रानीखेत से गोल्फ ग्राउंड 5 किलोमीटर है

होटल रहने का किराया

रानीखेत मैं बहुत ही बढ़िया होटल है जहाँ पर आप रुक सकते है यहाँ पर अच्छे रूम वाले होटल भी मिल जाते है यहाँ पर होटल का किराया कम से कम 1000rs  एक दिन का होता है इशसे ऊपर भी अच्छे होटल मिल जाते है यहाँ के होटल्स मैं गीजर लगे होते है क्यूँ की यहाँ का मौसम ठण्डा रहता है वो आपको देखना होता है की आप कितने बजट ले कर अपना ट्रिप करना चाहते है हर होटल में खाने के रेट अपने अपने होते है कुछ होटल वाले भी आपको टेक्सी करवा के दे देते है अगर आप रानीखेत घुमने आये हो तो यहाँ पर टेक्सी करना सही रहता है अगर आप अपनी गाड़ी से आये हो तो और भी अच्छा है

इस जगह का नाम रानीखेत कैसे पड़ा आओ जानते है

गर्मियों मैं यहाँ पर जाने का सबसे अच्छा समय अप्रैल से जुलाई और संदिर्यों मैं नवम्बर से फरवरी का महीना होता है ये जगह इतनी खुबसूरत है इस बात का अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते है जब चन्दवंश का शासन होता था तब उनके एक राजा हुआ करते थे सुखदेव और उनकी पत्नी जियारानी उनको ये स्थान इतना पसंद आया वो इस स्थान पर आया करती थी इस लिए उनकी रानी के नाम पर ही इस जगह का नाम रानीखेत रखा गया इस नाम को राजा सुधरदेव दवारा रखा गया था

ये स्थान अंग्रेजो को भी बहुत पसंद था अंग्रेजो ने रानीखेत मैं अपनी फ़ौज की छावनी यहाँ पर स्तिथ की थी अब यहाँ पर कुमाऊ रेजिमेंट का मुख्यालय है रानीखेत शहर बहुत साफ़ सुथरा भी है सन: 1889 मैं एक ब्रिटिश दवारा यहाँ पर कुमाऊ रेजिमेंट के मुख्यालय की स्थापना की गई है यहं रानीखेत समुन्दर तल से 1830 मीटर की ऊचाई पर है यह लगभग 25 किलोमीटर क्षेत्र मैं फैला हुआ है

भालू डेम

Ranikhet से भालू डेम 9 किलोमीटर की दूरी पर है भालू डेम यहाँ की बहुत बड़ी झील है अंग्रेजो के समय की बनाई हुई है यह जगह मछली पकड़ने के लिए बहुत ही प्रसिद्ध है यह जगह भीड़ से दूर अलग स्थान पर है यहाँ पर आपको जंगली जानवर भी देखने को मिलते है इस लिए यहाँ पर जगह जगह पोस्टर लगे हुए है की जंगली जानवरों से सावधान रहे चौबाटिया से 3 किलोमीटर का शोर्ट रास्ता जाता है जो की जंगलो से होता हुआ गुजरता है यहाँ पर जाने के लिए बड़े ग्रुप के साथ जाये और अगर बच्चो को लेकर साथ मैं इस रस्ते से जा रहे है तो सावधान रहे इस जगह के लिए गाइड का होना बहुत जरुरी है यह बहुत ही पुराना डेम है यह घने जंगल के बीच है ये जगह थोड़ी डरावनी सी फील देता है क्यूँ की जंगली जानवर कहीं से भी आ जाते है यहाँ सर्दियों मैं जबरदस्त बर्फबारी देखने को मिलती है

झूला देवी मंदिर

झूला देवी मंदिर एक प्राचीन मंदिर है जो की चौबाटिया के पास ही स्तिथ है ये जगह Ranikhet के चौबटिया गार्डन से 7 किलोमीटर की दूरी पर है ये लोक प्रिय और धार्मिक मंदिर है यह मंदिर दुर्गा माता को समर्पित है असथानीय लोगों दवारा कहा जाता है की ये मंदिर 700 साल पुराना है इसे घंटियों वाले मंदिर के रूप मैं भी जाना जाता है सावन का महिना था सभी बच्चे माँ के प्रागर्ण मैं झुला जुलते है माता ने किसी एक के सपने मैं आ कर झुला झुलने की इच्छा व्यक्त की थी  फिर ग्रामवासियों ने वहां पर झुला माता जी के लिए रख दिया तब से इस जगह का नाम झुला देवी पड़ गया यहाँ पर राम जी का मंदिर भी है मंदिर का मुख्य आकर्षण यहाँ पर लगी घंटियों का गुच्छा है जिसकी ध्वनि दूर तक सुनाई देती है

गोल्फ़ ग्राउंड

Ranikhet मैं बहुत ही बड़ा गोल्फ़ ग्राउंड है ये गोल्फ ग्राउंड अंग्रेजो का बनाया हुआ है रानीखेत अपने गोल्फ कोर्स के लिए प्रसिद्ध है ये एशिया का सब से बड़ा गोल्फ ग्राउंड है ये उचाई पर होने के कारण लोगो को आकर्षित करता है  यहाँ पर आप चारो तरह हरयाली देखेंगे और बड़े बड़े पेड़ देखने को मिलते है यह गोल्फ़ ग्राउंड को 1920 में बनाया गया था यहाँ पर गोल्फ़ ग्राउंड को देखने के लिया देश विदेशो से लोग आते है यहाँ पर पास मैं ही आर्मी की ट्रेनिंग भी चलती है जो की आर्मी कैंट एरिया है

कुमाऊ रेजिमेंटल सेंटर म्यूजियम

कुमाऊ रेजिमेंटल सेंटर एक म्यूजियम है जो की कुमाऊ और नागा रेजिमेंटल के दवारा संचालित होता है यहाँ पर आपको तरह तरह के युद्ध मैं प्रयोग होने वाले अलग अलग हथियार देखने को मिलते है यहाँ पर टैंक जैसे और भी कई चीजे है जो आपको देखने को मिलते है यहाँ पर युद्ध में पकडे गए कई शस्त्र है और यहाँ पर एक युद्ध में पकड़ी गई एलटीटीई की एक नाव भी है

 

रानी झील

Ranikhet से रानी झील 2 किलोमीटर की दूरी पर है रानी झील के आस पास घने पेड़ो से घिरी हुई बहुत ही सुन्दर झील है इसका नाम रानी के नाम पर ही रानी झील पड़ा है इसका  निर्माण शहर के दो पुलों के बीच किया गया है जिनका नाम कैनोसा कान्वेंट स्कूल और केन्द्रीय विधालय है यहाँ पर लोग पिकनिक मनाने आते है यहाँ पर बोटिंग भी होती है यह बहुत की सुन्दर है जो कि छोटी सी झील है लोग यहाँ पर बोटिंग का आनंद लेते है यहाँ से आपको दूर सुंदर वादियाँ देखने को मिल जाती है पहाड़ो के भी दर्शन हो जाते है यहाँ पर आपको बांज और देवदार के सुन्दर पेड़ देखने को मिलते है जो कि झील के चारो तरफ है यहाँ पर आप को तरह तरह की मछलियाँ देखने को मिल जाती है यहाँ पर आपको प्राकिर्तिक सुन्दर नज़ारा देखने को मिल जाता है

चौबटिया गार्डन

चौबटिया गार्डन Ranikhet से 8 किलोमीटर की दूरी पर है चौबटिया गार्डन रानीखेत का सबसे प्रसिद्ध टूरिस्ट प्लेस है चौबटिया गार्डन को भारत का सबसे बड़ा फलों का बगीचा माना जाता है यहाँ पर आपको सेब खुमानी अखरोट देखने को मिल जायेगे चौबटिया गार्डन के पास में ही एक बहुत ही सुन्दर झरना भी है ये जो बगीचा है चौबटिया गार्डन रानीखेत का  600 एकड में फैला हुआ सुन्दर बगीचा है यहाँ की सुन्दरता देखने लायक होती है आपको दूर दूर तक फल बड़े पेड़ और हरयाली देखने को मिलेगी यहाँ पर लोग इस जगह को देखने जरुर आते है ये जगह प्राक्रतिक है  चौबटिया गार्डन लोगो को अपनी ओर आकर्षित करता है

तारीखेत

तारीखेत  Ranikhet से 7 किलोमीटर की दूरी पर स्तिथ एक गाँव है ये गाँव गाँधी कुटिया के लिए प्रसिद्ध है जब गाँधी जी कुमाऊ आये थे तो गाँधी जी इस जगह कुटिया मैं रुके थे इस लिए ये जगह गाँधी कुटिया के लिए प्रसिद्ध है ये स्थान गोलू देवता के लिए भी प्रसिद्ध है गोलू देवता को न्याय का देवता माना जाता है इस मंदिर की ये मानयता है की जिस व्यकित को न्याय नहीं मिलता वो अपनी चिठ्ठी मैं लिख कर मंदिर मैं टांग देता है और गोलू देवता उसको न्याय देते है

दवराहत

अल्मोड़ा से दवराहत 70 किलोमीटर की दूरी पर है यहाँ पर कत्यूरी और चन्द शासकों ने राज किया था  रानीखेत से दवराहत 33 किलोमीटर दूर है यहाँ पर एक दवराहत मंदिर का समूह है जिसे हिमालिका की द्वारिका के नाम से जाना जाता है ये बहुत ही सुंदर देवालय है दवराहत का नाम श्री कृष्ण जी की नगरी द्वारिका के नाम पर रखा गया दवराहत समुन्दर तल से इसकी ऊचाई 1510 मीटर है यहाँ पर मंदिरों की सख्या ज्यादा होने के कारण इसे मंदिरों का गाँव भी कहा जाता है कत्यूरी राजाओ ने यहाँ पर बहुत ही सुन्दर मंदिरों का निर्माण करवाया था दवराहत का गुर्जर देवाल मंदिर बहुत ही खास और लोकप्रिय है इस मंदिर का निर्माण गुर्जर देव ने अपने शासन मैं करवाया था इसकी बनावट को देख कर इस मंदिर को खुजराहो मंदिर भी कहा जाता है

हैडाखान मंदिर

Ranikhet से हैडाखान मंदिर 5 किलोमीटर की दूरी पर है हैडाखान मंदिर चिलियानौला स्थान पर है यहाँ  पर जाने का रास्ता जंगलो से होता हुआ जाता है यहाँ पर आपको बड़े बड़े पेड़ देखने को मिलेगे यहाँ पर जाने की सड़क बहुत ही छोटी है घुमाऊ रस्ते से हो कर गुजरना पड़ता है यहाँ पर सर्दियों में बहुत बर्फ देखने को मिलती है और यह जगह देखने मैं बहुत अच्छी लगती है रानीखेत का यह प्रसिद्ध मंदिर है यहाँ शिवशंकर जी की मूर्ति है जहाँ पर पानी की धारा बहती रहती है यहाँ पर हनुमान जी की मूर्ति की प्रतिमा भी है ये मंदिर ऊचाई पर होने के कारण यहाँ से आप दूर दूर के पर्वतो को देख सकते हो हैडाखान बाबा जी की किताब मैं उसके चमत्कारों का वर्णन भी है उनको आज तक बाबा जी सोते हुए नहीं देखा वो हमेशा ध्यान मैं लीन रहते थे हैडाखान बाबा शिवशंकर जी के अवतार माने जाते है ये मंदिर संगमरमर से बना हुआ है बहुत ही बढ़िया तरीके से बनाया गया है

सैंट ब्रिजेट चर्च

सैंट ब्रिजेट चर्च अग्रेजो के समय मैं बनाया हुआ काफी पुराना चर्च है  इस चर्च को अग्रेजो ने बनाया था  अंग्रेज जाते जाते भारत में कई निशानियाँ छोड़ कर गए ये उन में से एक है यहाँ पर अंग्रेज प्रार्थना के लिए आया करते थे यह चर्च बनावट से ही देखने मैं बहुत पुराना लगता है इसकी वास्तुकला ही लोगो को अपनी ओर आकर्षित करती है यहाँ पर इसे लोग देखने आते है कुछ यहाँ पर प्रार्थना भी करते है इस चर्च की बनावट बहुत ही अच्छी है जो की लोगो को देखने में पसंद आता है

Categories: Tourist Places
Admin: