Tue. Jan 21st, 2025

    हमारे जो Computers है वो numbers मं डील करते है मगर हम लोगो को नंबर आसानी से याद नहीं होते है कितने ही नंबर से आप किसी को याद कर लोगे मगर आप किसी को भी नाम से याद रख सकते हो एक system बनाया जाता है उसके साथ कई computers को जोड़ा जाता है यह सब computers आपस मैं बात IP address के form मैं करते है यानि की numeric form आपस मैं जुड़ते है जब भी हम कभी internet use कर के Facebook Instagram यह you tube को खोलते है तो हम वेबसाइट का नाम डालते है हम कभी IP Address नहीं डालते है उन computers का भी IP Address होता है तो इन सब का ध्यान domain name system रखता है . DNS का Full Form domain name system होता है

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     ये name सर्विसेज को provide करता है जिसकी मदद से name resolution किया जाता है अगर आपको कंप्यूटर का नाम पता है तो आपको उसका IP Address जाने की जरुरत नहीं है web server है जिसके उपर website hosted है उस webserver को उसके मालिक ने फिर प्रशासक ने उसका नाम दिया हुआ है उस नाम की entry उसके IP Address के साथ DNS पर करवा रखी होती है जब भी आप webserver को या कंप्यूटर को उसके नाम से ढूढेंगे तो background मैं DNS आपकी query का समाधान करेगा.

    DNS को examples से समझते है जैसे की आपके मोबाइल मैं Phone book या Contact Book है उस मैं आप जब भी किसी नंबर को save करते है तो उसके नाम से save करते हो. और जब भी हमने दोस्तों से बात करनी होती है तो हम उसका नंबर नाम से search करते है और कॉल कर देते है. background मैं आपका फ़ोन आपके दोस्त के नाम से फ़ोन नंबर को ढूढ़ता है और आपकी कॉल को आपके दोस्त के साथ connect कर देता है  उसी तरह ही DNS भी उसी तरह से कंप्यूटर के नाम से उनके IP Address के साथ ट्रांसलेट कर देता है और आपकी connectivity उन सब कंप्यूटर यह web server के साथ जोड़ देता है DNS का प्रयोग आप इन्टरनेट यह अपने प्राइवेट नेटवर्क के साथ कर सकते है.

    आज के समय मैं बिना DNS के आप कल्पना भी नहीं कर सकते है क्यूंकि बिना DNS आपको हर एक website का IP Address को याद रखना पड़ेगा दुनिया बहुत सारी वेबसाइट है जिनको याद रखना बहुत ही मुश्किल काम है

    DNS system से पहले name resolution के लिए  hosts.text File का प्रयोग किया जाता था फिर इस फाइल को Centralized Location पर रखा जाता था फिर host यह file download करनी होती थी इसमें एक एक file manual करनी होती थी फिर उसके बाद DNS रूप मैं आया DNS उलटे पेड़ की तरह है जिसकी जड़ उपर की और है DNS उपर से निचे की और servers का जाल बनता जाता है जिसका root domain उपर होता है और पेड़ की तरह निचे को और आता रहता है और servers का जाल बनता है  DNS काम करने के लिए UDP Port No 53 use करता है पहले flat structure होता था अब DNS hierarchy structure है

    DNS Root Tree

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