दोस्तों आज में आपको उत्तराखंड की जगह Chopta के बारे में बताने जा रहा हूँ ये बहुत ही प्यारी जगह है भारत का उतरी राज्य उत्तराखंड है यहाँ मौसम बहुत ही अच्छा रहता है चोपटा केदारनाथ वन्य जीव अभ्यारण का हिस्सा है ये बहुत ही लोकप्रिय जगह है जब सूर्य की किरणें हिमालय की चोटियों पर पड़ती हैं तो यहां की सुबह काफी मनोरम लगती है।
जो भी प्रकृति से बहुत प्यार करते है चोपटा पहाड़ी जंगलो से घिरा हुआ स्थान है चोपटा एक बहुत ही सुंदर पहाड़ी है चोपटा रुधप्रयाग जिले में समुंदर तल से 2680 मीटर की ऊचाई पर स्थित है इसे मिनी स्विज़रलैंड के नाम से भी जाना जाता है इसे ये उपाधि हरे भरे जंगल होने के वजह से मिली है यहाँ पर पहाड़ और हरयाली दोनों ही है |
Chopta रेल मार्ग दवारा जाने का रास्ता
Chopta के सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन हरिद्वार और ऋषिकेश में स्थित है हरिद्वार से चोपता की दूरी 230 किलोमीटर है और ऋषिकेश से चोपता की दूरी 210 किलोमीटर की है, यहां पहुँचने के बाद टैक्सी की मदद से चोपता पहुँच सकते हो।
Chopta हवाई मार्ग दवारा जाने का रास्ता
चोपता का अपना कोई हवाई अड्डा नहीं है, लेकिन आप हवाई मार्ग से आना चाहते हो तो आप केवल देहरादून आ सकते हो चोपता के सबसे पास हवाई अड्डा देहरादून में है। देहरादून से आप टैक्सी की मदद से चोपता बहुत आसानी से पहुँच सकते हो। देहरादून हवाई अड्डे से चोपता की दूरी 179 किलोमीटर की है।
यहाँ हरे भरे घास के मैदानों को बुग्यल भी कहा जाता है यहाँ से लोग चौखम्बा पीक ,त्रिशूल पीक ,नंदा देवी पीक को भी देख सकते है |
तुंगनाथ मंदिर की ऊँचाई सबसे ज्यादा है
- केदारनाथ की ऊँचाई 11,755 फ़ीट है।
- रुद्रनाथ की ऊँचाई 11,676 फ़ीट है।
- मध्यमहेश्वर की ऊँचाई 11,451 फ़ीट है।
- कल्पेश्वर की ऊँचाई 7216 फ़ीट है।
- तुंगनाथ की ऊँचाई 12,074 फ़ीट है, सबसे ज्यादा।
ये जगह तुंगनाथ मंदिर के लिए बहुत प्रसिद्ध है ये मंदिर भगवान शिव को समर्पित है तुंगनाथ मंदिर समुंद्र तल से 3680 मीटर की ऊचाई पर है इसे शिव का सबसे ऊचा मंदिर भी मना जाता है यहाँ पर रावण ने अपने पापो का प्रायश्चित किया था रुद्रप्रयाग जिले में समुद्र तल से 9,515 फुट की ऊंचाई पर बसे चोपता को गांव और कस्बे में से किसी भी खांचे में नहीं डाल सकते।
चोपटा से 3.5 किलोमटर पैदल ऊपर चढ़ कर तुंगनाथ मंदिर के दर्शन करने पड़ते है लोग इस ट्रेकिंग का बहुत ही आनंद लेते है यहाँ पर पास में ही स्थित चन्द्रसिला पर्वत रोमंचक ट्रेकिंग रूट के लिए जाना जाता है ट्रेकिंग के लिए ये जगह बहुत ही प्रसिद्ध है |
चन्द्रसिला पर्वत समुंदर तल से 13000 किलोमीटर तक स्तिथ है यहाँ पर बहुत से लोग दुनियां भर से ट्रेकिंग करने आते है तुंगनाथ मंदिर से चन्द्रसिला पर्वत की ट्रेकिंग 1.5 किलोमीटर तक स्तिथ है यहाँ पर पुरे साल आप कभी भी आ सकते है यहाँ कहा दृश लोगो को अपनी और आकर्षित करते है नवंबर से मार्च तक आप बर्फ का लुफ्त उठा सकते है | यहाँ पर पुरे साल टूरिस्ट आते रहते है |
Chopta कैसे जाये चोपटा घुमने
- चोपटा आने के दो रस्ते है ऋषिकेश से गोपेश्वर होकर आप यहाँ पर पहुच सकते है ऋषिकेश से गोपेश्वर दूरी 212 किलोमीटर है गोपेश्वर से चोपटा 40 किलोमीटर है ऋषिकेश से गोपेश्वर के लिए बस सेवा उपलब्ध है|
- ऋषिकेश से उखीमठ होकर आप यहाँ पर पहुच सकते है ऋषिकेश से उखीमठ 178 किलोमीटर है उखीमठ से आगे 24 किलोमीटर है ऋषिकेश से उखीमठ के लिए बस सेवा उपलब्ध है |
- ऋषिकेश से चोपटा बाइक से जायेगे तो 2500 से 3000 तक का पैट्रॉल लगेगा ऋषिकेश से चोपटा अपनी कार से जायेगे तो 4000 से 5000 का पैट्रॉल लगेगा |
Chopta होटल में रहने का किराया
- होटल उखीमठ गोपेश्वर चोपटा सभी जगह रहने के लिए गढ़वाल मंडल के विश्राम स्थल मौजूद है यहाँ पर प्राइवेट लौज और धर्मशाला भी है |
- होटल में रहने का किराया लगभग 1500-2000 तक आ ही जाता है अगर वहां पर टूरिस्ट ज्यादा हो तो होटल का किराया वहां के होटल मालिक बढ़ा कर देते है |
- यहाँ पर कैंप भी बना कर रखते है यहाँ पर इसका किराया लगभग 1500-2000 के आसपास आता है यहाँ पर उसके साथ खाना भी दिया जाता है |
- यहाँ पर 4 या 5 दिन यात्रा करने के लिए बहुत होता है यहाँ पर मौसम हमेशा ही अच्छा रहता है अपने साथ गर्म कपडे जरुर ले कर जाये |
Chopta घुमने का अच्छा समय
- यहाँ पर घुमने का अच्छा समय नवंबर से मार्च का होता है इस समय यहाँ पर बर्फ देखने को मिलती है |
- यहाँ पर आपको मई और नवंबर की बीच आपको बर्फ देखने को नहीं मिलती है तुंगनाथ की कपाट भी मई के महीने में ही खोले जाते है |
- ट्रकिंग के लिए लोग यहाँ पर कभी भी आ सकते है और लोग जाते भी है |
Chopta ट्रिप का पूरा खर्चा
- दो लोगो का पूरा खर्चा यहाँ पर रहने से लेकर खाने तक 5000-10000 तक आ जाता है |
- ये इस पर भी निर्भर करता है की आप कितने समय के लिए रह रहे है बाकि खर्चा उपर नीचे हो सकता है |
चोपटा में दिसम्बर में बर्फ
दिसंबर में चोपता में बर्फ़बारी होती तो है लेकिन लगभग दूसरे सप्ताह के बाद। लगभग 10 दिसंबर के बाद यहाँ बर्फ़बारी शुरू हो जाती है। चोपता से तुंगनाथ और चंद्रशिला तक के मार्ग पर भयंकर बर्फ मिलती है। दिसंबर से मार्च के मध्य तक यह खूब बर्फ पड़ती है। ये समय देखने वाला होता है लोग बहुत ही दूर दूर से इस जगह को देखने और बर्फ का आनंद लेते है
चोपटा में तुंगनाथ मंदिर की खासियत
यह मंदिर हजारों वर्ष पुराना माना जाता है और यहाँ भगवान शिव की पंच केदारों में से एक के रूप में पूजा होती है। ऐसा माना जाता है की इस मंदिर का निर्माण पाण्डवों द्वारा भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया गया था, जो कुरुक्षेत्र में हुए नरसंहार के कारण पाण्डवों से रुष्ट थे। तुंगनाथ की चोटी तीन धाराओं का स्रोत है, जिनसे अक्षकामिनी नदी बनती है। मंदिर चोपता से ३ किलोमीटर दूर स्थित है। कहा जाता है कि पार्वती माता ने शिव जी को प्रसन्न करने के लिए यहां ब्याह से पहले तपस्या की थी ।
बिसुरिया ताल के बारे में
उत्तराखंड के चोपता में स्तिथ बिसुरिया ताल है। बिसुरीताल एक बहुत ही कठिन ट्रेक है जिसके कारण इसके बारे में बहुत ही कम लोग जान पाए है। मान्यता है की बिसुरिया ताल के पानी में बहुत से औशधीय गुण हैं जो त्वचा संबंधी रोगों से छुटकारा मिलता है। बिसुरिया ताल एक कठिन ट्रेक है जो 30 किमी लम्बी है।
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