Badrinath Temple भारत के उत्तर मैं सुंदर पहाड़ियों के बीच तीर्थ स्थान है. Badrinath Temple उत्तराखंड मैं पड़ता है यह बहुत ही पवित्र स्थान है.हिन्दू शास्त्रों के अनुसार बद्रीनाथ के दर्शन किये बिना सारी तीर्थ यात्राएं अधूरी है. पहले यहाँ सड़क न होने के कारण यात्रा बहुत ही कठिन होंती थी मगर अब सड़क बन जाने के बाद यहाँ पर यात्रा करनी आसान है यहाँ पर श्रद्धालु लोग दूर दूर से आते हैं और विदेशों से भी लोग बहुत आते है क्यूँ की यह बहुत ही सुंदर स्थान है सुंदर पहाड़ देखने को मिलते है हरयाली है यहाँ पर लोग दर्शन करने बहुत ही सच्चे मन से आते है .
रास्ता : हरिद्वार से बद्रीनाथ 322 किलोमीटर है अगर आप बस से आ रहे है. हरिद्वार से पहले आपको जोशीमठ आना पड़ेगा. जोशीमठ से बद्रीनाथ 45 किलोमीटर है बद्रीनाथ मंदिर समुंदर तल से 3122 मीटर की उचाई पर लक्ष्मण गंगा और अलकनंदा की Badrinath Temple प्राकतिक प्रेमियों के लिए यह बहुत ही सुंदर जगह है .इस जगह पर बेर या बद्री की बेशुमार झाड़ियाँ है इस लिए इसे बद्री वन भी कहा जाता है यहाँ पर गर्म ठन्डे पानी के स्त्रोत भी है.
शंकराचार्य के समय से बद्रीनाथ कहा जाता है व्यासमुनि का जन्म भी बद्री वन मैं हुआ है .यही पर उनका आश्रम भी था इस लिए वेदव्यास को बद्रयल भी कहा जाता है इनही के नाम पर मंदिर का नाम बद्रीनाथ भी पड़ा है. त्रिता युग मैं भगवान राम ने द्वापरयुग मैं वेदव्यास ने और कलयुग मैं शंकराचार्य ने बद्रीनाथ मैं धर्मं और सस्कृति के सूत्र पिरोये है बौद्ध धर्म की सथापना के बाद चीन ने भारत पर अकर्मण किया तथा बद्रीनाथ भ्रष्ट कर दिया था और विष्णु की मूर्ति को नारद कुण्ड मैं डाल दिया फिर शंकराचार्य जी ने उस मूर्ति को निकला कर गरुड़ घुफा मैं उसको स्थापित किया. चंद्रवंशी गडवाल नरेश ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था .उस मंदिर पर इंदौर की महारानी ने अहिल्यावाही ने सोने का शिखर चढ़ाया था.
बद्रीनाथ यहाँ का प्राचीन छेत्र है इसकी सथापना सतयुग मैं हुई थी यहाँ पर मन को शांति भी मिलती है बद्रीनाथ मैं नर और नारायण नाम के दो पर्वत शिखर है इनके बीच मैं पठारी स्थल पर यहाँ का मुख्य मंदिर है बद्रीनाथ विष्णु का धाम है मंदिर अलकनंदा के दाहिने तट पर स्तिथ है मंदिर पर तीन स्वर्ण कलश चमकते रहते है यहाँ पर मंदिर के दो भाग है पहले मंदिर के भाग मैं गरुड़ हनुमान और लक्ष्मी जी के छोटे छोटे मंदिर स्थापित है. दुसरे भाग मैं बद्रीनारायण विष्णु जी की काले पत्थर से नियमित चतरभुज प्रतिमा है उनके मस्तक पर एक हिरा जड़ा हुआ है उनके आसपास कई मुर्तिया स्थापित है.
यहाँ पर दूर दूर से इस मंदिर की सुन्दरता को देखने आते है यहाँ पर भंडारा भी होता है यहाँ पर लाखों की संख्या मैं श्रद्धालु आते है और मंदिर के दर्शन करते है यहाँ पर सबकी मनोकामनाए पूरी होती है और लोग यहाँ अच्छे दिल से अपनी मनोकामनाए मांगते है और पूरी श्रद्धा से वो मनोकामनाए भगवान पूरी भी करते है यहाँ का दृश्य देखने लायक है यहाँ आकार मन्न को शांति मिलती है . यहाँ की सुन्दरता बहुत अलग है यहाँ आकार जीवन सफल हो जाता है . आप सब भी यहाँ पर दर्शन करने आये और यहाँ की सुन्दरता देखें .
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